Monday, 13 April 2020

“ये जहाँ जब जीने का हक मांगता रहा,
इंसान जहाँ के सारे हक छीनता रहा,
अब जो आफत आयी है, ये भी तो इंसानो ने ही बनाई है,
मगर जियेगा अब ये जहाँ, कहर तो बस इंसानो पर बरसेगा,
अब वक्त बस दुआ का है उस रब से, जो शायद अब भी इंसानो की है सुन रहा.. “

-दीप्ति त्यागी

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