Saturday, 2 May 2015

यादों के दिये

मेरी ख़ुशी से तुमको क्या मतलब,
मेरे ग़म से तुमको क्या लेना,
यादों के दिये  जो बाकी हों,
उनको भी तुम बुझा देना,

शायद याद नहीं वो दिन तुमको,
जब साथ कभी हम रहते थे,
उन बातों का भी क्या मतलब,
जो तन्हाई में हम कहते थे,

उन भूली बिसरी यादों को,
अब दिल से तुम मिटा देना,
यादों के दिये जो बाकी हों,
उनको भी तुम बुझा देना। 


भूल चुके हो सब वादे,
हर कसम को तुमने तोड़ दिया,
मंज़िल के सपने दिखला कर,
राहों में तन्हा छोड़ दिया,

भूल से कभी ग़र याद आये,
पलकों में अश्क़ छुपा लेना,
यादों के दिये जो बाकी हों,
उनको भी तुम बुझा देना। 


जहाँ रहो तुम खुश रहो,
तुम्हारी ख़ुशी ही मुझको प्यारी है,
मेरे दिल की हर धड़कन में,
अब भी तस्वीर तुम्हारी है,

जिस दर्द को ज़िंदा रखना हो,
उस दर्द की क्या दवा लेना?
यादों के दिये जो बाकी हों,
उनको भी तुम बुझा देना।                     
                                                                                  - दीप्ति त्यागी 
                                                             
                                                                          




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