Sunday 3 May 2015

कभी तो वक़्त आयेगा

कभी तो वक़्त आयेगा, जब हम भी हँसेंगे,
बेझिझक हम भी कुछ कहने का दम रखेंगे,
होगा थोड़ा हौंसला, थोड़ी उड़ान भरेंगे,
शायद सब अरमान भी हमारे सच होंगे। 

मगर तब तक जो जीना है,
बड़ी मुश्किल कसौंटी है,
उबर पाएंगे हम इससे,
बड़ी मुश्किल चुनौती है। 

मगर फिर भी हम जी रहे हैं,
सांस नहीं रुकी अब तक,
और कोशिश भी बस एक ही है,
पहुँच पाएं खुशनुमा वक़्त तक। 

उस दूरी को छू पाएं,
नखरे जो दिखा रही है,
हांसिल कर लें ज़िन्दगी सही,
अभी तो बेकार चल रही है!!
                                                  - दीप्ति त्यागी 
                                                                   
                                                   


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