Saturday 25 April 2020

बारिश के मौसम में!


बारिश के मौसम में, अब कपड़े गीले नहीं होंगे,
एक बीमारी ने घर बैठा दिया, कीचड़ से पैर मैले नही होंगे,
मगर उस गरीब की छत से तो अब भी पानी टपकेगा, गरीब तो अब भी अपनी भूख मुश्किल से मिटाएंगे,
कुत्ते अब भी सड़कों पर भूख से रोएंगे, बारिश के जमा पानी से नहाएंगे, प्यास बुझाएंगे,
सोचो उन लोगो का जो परिवार से दूर होंगे, वो लडकियां जिनके इस साल हाथ पीले नहीं होंगे, 
ये समय न तो जीते के लिए आसान है, न मुर्दे क लिए, सोचो उन लोगो का जो इस बीमारी से जूंझ रहे होंगे, 
उस डॉक्टर को तो अब भी तुम्हारी खुशामत के लिए निकलना है, इस महामारी से खुद ही लड़ना है, 
पुलिस तो अब भी तैनात रहेगी, तुम्हारी जान सलामत रहे, इसलिए खुद की जान देगी,
अब घर बैठकर आप क्या कर सकते हैं?  जो सरकार ने माँगा है, वो कर, सरकार की मदद कर सकते हैं,
शुक्रिया कर सकते हैं, इंसानियत के रखवालो का, घर रहकर इस दुनिया की सलामती की दुआ मांग सकते हैं,
क्या पता लग जाए आपकी वो दुआ और मिल जाए इस महामारी से छुटकारा, हम सभी उस ईश्वर से ये प्रार्थना कर सकते हैं!



-दीप्ति त्यागी


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